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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध
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श्लोक 33
श्लोक
3.26.33
तैर्मुक्तकेशै: समरे पतितै: शोणितोक्षितै:।
विस्तीर्णा वसुधा कृत्स्ना महावेदि: कुशैरिव॥ ३३॥
अनुवाद
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युद्ध के मैदान में मुक्त केशों वाले, खून से सने और मरकर गिर पड़े असंख्य राक्षसों से सारी धरती उस विशाल वेदी के समान भर गई थी, जो कुशों से ढकी होती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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