वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध
»
श्लोक 3-4h
श्लोक
3.26.3-4h
तद् द्रुमाणां शिलानां च वर्षं प्राणहरं महत्॥ ३॥
प्रतिजग्राह धर्मात्मा राघवस्तीक्ष्णसायकै:।
अनुवाद
play_arrowpause
देखकर धर्मात्मा श्रीरघुनाथजी ने वृक्षों और शिलाओं की उस प्राण लेने वाली भयंकर वर्षा को अपने तीखे बाणों से रोक लिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.