श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध  »  श्लोक 26-28
 
 
श्लोक  3.26.26-28 
 
 
एवमुक्त्वा खर: क्रुद्धो राममेवाभिदुद्रुवे।
श्येनगामी पृथुग्रीवो यज्ञशत्रुर्विहंगम:॥ २६॥
दुर्जय: करवीराक्ष: परुष: कालकार्मुक:।
हेममाली महामाली सर्पास्यो रुधिराशन:॥ २७॥
द्वादशैते महावीर्या बलाध्यक्षा: ससैनिका:।
राममेवाभ्यधावन्त विसृजन्त: शरोत्तमान्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार यह कहकर कुपित हुए खर ने स्वयं श्रीराम पर आक्रमण कर दिया। साथ ही, श्येनगामी, पृथुग्रीव, यज्ञशत्रु, विहंगम, दुर्जय, करवीराक्ष, परुष, कालकार्मुक, हेममाली, महामाली, सर्पास्य और रुधिराशन - ये बारह महापराक्रमी सेनापति भी श्रेष्ठ बाणों की वर्षा करते हुए अपने सैनिकों के साथ श्रीराम पर ही टूट पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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