श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध  »  श्लोक 22-23h
 
 
श्लोक  3.26.22-23h 
 
 
स पपात हतो भूमौ विटपीव महाद्रुम:।
दूषणस्यानुगान् पञ्चसाहस्रान् कुपित: क्षणात्॥ २२॥
हत्वा तु पञ्चसाहस्रैरनयद् यमसादनम्।
 
 
अनुवाद
 
  धरती पर त्रिनेत्रधारी भगवान शिव के समान तीनों अग्रगामी सैनिकों का वह समूह बहुत सारी शाखाओं वाले विशाल वृक्ष की तरह गिर पड़ा। इसके बाद श्रीरामचन्द्रजी ने कुपित होकर दूषण के साथी पांच हजार राक्षसों को पलक झपकते ही उतने ही बाणों से मारकर यमलोक पहुँचा दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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