वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध
»
श्लोक 15
श्लोक
3.26.15
कराभ्यां च विकीर्णाभ्यां पपात भुवि दूषण:।
विषाणाभ्यां विशीर्णाभ्यां मनस्वीव महागज:॥ १५॥
अनुवाद
play_arrowpause
जैसे महान् मनस्वी हाथी बड़े दुःख के साथ उखाड़े गए दो दाँतों के साथ ही धराशायी हो जाता है, उसी तरह दूषण अपनी कटी हुई बाँहों के साथ ज़मीन पर गिर पड़ा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.