श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.25.8 
 
 
मुद‍्गरैरायसै: शूलै: प्रासै: खड्गै: परश्वधै:।
राक्षसा: समरे शूरं निजघ्नू रोषतत्परा:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसगण उस युद्ध के मैदान में क्रोधित होकर लोहे के मुद्गरों, शूलों, प्रासों, खड्गों और फरसों से युद्ध करने वाले वीर श्रीराम पर प्रहार कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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