श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  3.25.42 
 
 
निहता: पतिता: क्षीणाश्छिन्ना भिन्ना विदारिता:।
तत्र तत्र स्म दृश्यन्ते राक्षसास्ते सहस्रश:॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  जहाँ-जहाँ दृष्टि जाती थी, वहाँ-वहाँ हज़ारों राक्षस मरे हुए, गिरे हुए या फिर क्षीण, कटे-फटे और चीरे हुए दिखायी देते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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