वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार
»
श्लोक 42
श्लोक
3.25.42
निहता: पतिता: क्षीणाश्छिन्ना भिन्ना विदारिता:।
तत्र तत्र स्म दृश्यन्ते राक्षसास्ते सहस्रश:॥ ४२॥
अनुवाद
play_arrowpause
जहाँ-जहाँ दृष्टि जाती थी, वहाँ-वहाँ हज़ारों राक्षस मरे हुए, गिरे हुए या फिर क्षीण, कटे-फटे और चीरे हुए दिखायी देते थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.