श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  3.25.40 
 
 
शरान्धकारमाकाशमावृणोत् सदिवाकरम्।
बभूवावस्थितो राम: प्रक्षिपन्निव तान् शरान्॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  राम के बाणों से बना अंधेरा पूरे आकाशमण्डल में छा गया, वो भी दिन के समय जब सूर्य चमक रहा हो। जबकि राम एक ही स्थान पर खड़े होकर लगातार बाण चला रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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