श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.25.38 
 
 
तत: शरसहस्राणि निर्ययुश्चापमण्डलात्।
सर्वा दश दिशो बाणैरापूर्यन्त समागतै:॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  तब उनके चाप के घेरे से सहस्रों बाणों का उत्सर्जन होने लगा। उन बाणों से दसों दिशाएँ पूरी तरह से ढक गईं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.