श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.25.31 
 
 
तान् सर्वान् धनुरादाय समाश्वास्य च दूषण:।
अभ्यधावत् सुसंक्रुद्ध: क्रुद्धं क्रुद्ध इवान्तक:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  परंतु युद्ध के बीच में दूषण ने धनुष उठाया और उसने उन सब योद्धाओं को आश्वासन दिया। फिर अत्यधिक क्रोधित और रोष में भरे हुए यमराज जैसा क्रुद्ध होकर वह युद्ध के लिए डटे हुए श्रीरामचंद्र जी की ओर दौड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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