श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.25.26 
 
 
तत्सैन्यं विविधैर्बाणैरर्दितं मर्मभेदिभि:।
न रामेण सुखं लेभे शुष्कं वनमिवाग्निना॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण की वह राक्षस सेना, भगवान श्री राम द्वारा चलाये गए विभिन्न प्रकार के मर्मभेदी बाणों से पीड़ित हुई थी। उनकी पीड़ा ऐसी थी जैसे आग से जलते हुए सूखे वन को सुख-शांति नहीं मिलती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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