श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 21-22
 
 
श्लोक  3.25.21-22 
 
 
तैर्धनूंषि ध्वजाग्राणि चर्माणि कवचानि च॥ २१॥
बाहून् सहस्ताभरणानूरून् करिकरोपमान्।
चिच्छेद राम: समरे शतशोऽथ सहस्रश:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम ने समरांगण में शत्रुओं के सैकड़ों-हजारों धनुष, ध्वजाओं के अग्रभाग, ढाल, कवच, आभूषणों से सुशोभित भुजाएँ और हाथी की सूंड के समान जाँघों को अपने बाणों से काट डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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