वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 25: राक्षसों का श्रीराम पर आक्रमण और श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा राक्षसों का संहार
»
श्लोक 20-21h
श्लोक
3.25.20-21h
असंख्येयास्तु रामस्य सायकाश्चापमण्डलात्॥ २०॥
विनिष्पेतुरतीवोग्रा रक्ष:प्राणापहारिण:।
अनुवाद
play_arrowpause
श्रीरामचंद्र जी के चक्राकार धनुष से राक्षसों के प्राण लेने वाली असंख्य भयानक बाणों की वर्षा होने लगी।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.