वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना
»
श्लोक 4
श्लोक
3.23.4
ततो ध्वजमुपागम्य हेमदण्डं समुच्छ्रितम्।
समाक्रम्य महाकायस्तस्थौ गृध्र: सुदारुण:॥ ४॥
अनुवाद
play_arrowpause
तत्पश्चात् खर के रथ की ऊंची और सोने के दंड वाली ध्वजा पर एक विशालकाय गीध आकर बैठ गया, जो देखने में बहुत ही खौफ़नाक था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.