श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  3.23.34 
 
 
सा भीमवेगा समराभिकांक्षिणी
सुदारुणा राक्षसवीरसेना।
तौ राजपुत्रौ सहसाभ्युपेता
माला ग्रहाणामिव चन्द्रसूर्यौ॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  देखते ही देखते युद्ध की इच्छा से प्रेरित राक्षस वीरों की वह बेहद भयावह और तेज़ सेना श्रीराम और लक्ष्मण राजकुमारों के पास आ पहुँची, मानो ग्रहों की कतार चन्द्रमा और सूर्य के निकट प्रकाशमान हो रही हो।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे त्रयोविंश: सर्ग: ॥ २ ३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें तेईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ३॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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