देखते ही देखते युद्ध की इच्छा से प्रेरित राक्षस वीरों की वह बेहद भयावह और तेज़ सेना श्रीराम और लक्ष्मण राजकुमारों के पास आ पहुँची, मानो ग्रहों की कतार चन्द्रमा और सूर्य के निकट प्रकाशमान हो रही हो।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे त्रयोविंश: सर्ग: ॥ २ ३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें तेईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ३॥