वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना
»
श्लोक 33
श्लोक
3.23.33
महाकपाल: स्थूलाक्ष: प्रमाथस्त्रिशिरास्तथा।
चत्वार एते सेनाग्रे दूषणं पृष्ठतोऽन्वयु:॥ ३३॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाकपाल, स्थूलाक्ष, प्रमाथ और त्रिशिरा नाम के चार राक्षस-वीर सेना के आगे-आगे चल रहे थे और सेनापति दूषण उनके पीछे-पीछे आ रहा था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.