श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  3.23.33 
 
 
महाकपाल: स्थूलाक्ष: प्रमाथस्त्रिशिरास्तथा।
चत्वार एते सेनाग्रे दूषणं पृष्ठतोऽन्वयु:॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  महाकपाल, स्थूलाक्ष, प्रमाथ और त्रिशिरा नाम के चार राक्षस-वीर सेना के आगे-आगे चल रहे थे और सेनापति दूषण उनके पीछे-पीछे आ रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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