श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 31-33h
 
 
श्लोक  3.23.31-33h 
 
 
रथेन तु खरो वेगात् सैन्यस्याग्राद् विनि:सृत:।
श्येनगामी पृथुग्रीवो यज्ञशत्रुर्विहंगम:॥ ३१॥
दुर्जय: करवीराक्ष: परुष: कालकार्मुक:।
हेममाली महामाली सर्पास्यो रुधिराशन:॥ ३२॥
द्वादशैते महावीर्या: प्रतस्थुरभित: खरम्।
 
 
अनुवाद
 
  खर ने बड़े वेग से रथ चलाया और वह सारी सेना से आगे निकल गया। श्येनगामी, पृथुग्रीव, यज्ञशत्रु, विहंगम, दुर्जय, करवीराक्ष, परुष, कालकार्मक, हेममाली, महामाली, सस्य और रुधिराशन ये बारह शक्तिशाली राक्षस खर को दोनों ओर से घेरकर उसके साथ-साथ चलने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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