श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 28-29h
 
 
श्लोक  3.23.28-29h 
 
 
स्वस्ति गोब्राह्मणेभ्यस्तु लोकानां ये च सम्मता:।
जयतां राघवो युद्धे पौलस्त्यान् रजनीचरान्॥ २८॥
चक्रहस्तो यथा विष्णु: सर्वानसुरसत्तमान्।
 
 
अनुवाद
 
  गौ, ब्राह्मण और अन्य सभी महान आत्माओं का कल्याण हो। जिस प्रकार चक्रधारी भगवान् विष्णु सभी असुरों को परास्त करते हैं, उसी प्रकार रघुकुल के भूषण श्री राम युद्ध में इन पौलस्त्य निशाचरों को हराएँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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