श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 26-27
 
 
श्लोक  3.23.26-27 
 
 
समेयुश्च महात्मानो युद्धदर्शनकांक्षिण:॥ २६॥
ऋषयो देवगन्धर्वा: सिद्धाश्च सह चारणै:।
समेत्य चोचु: सहितास्तेऽन्योन्यं पुण्यकर्मण:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय युद्ध देखने की अभिलाषा रखने वाले अनेकों पुण्यकर्मी महात्मा, ऋषि, देवता, गन्धर्व, सिद्ध और चारण वहाँ एकत्रित हुए। एकत्र होकर वे सभी आपस में कहने लगे—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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