श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 25-26h
 
 
श्लोक  3.23.25-26h 
 
 
सा तस्य गर्जितं श्रुत्वा राक्षसानां महाचमू:॥ २५॥
प्रहर्षमतुलं लेभे मृत्युपाशावपाशिता।
 
 
अनुवाद
 
  खर की इस गर्जना को सुनकर राक्षसों की वह विशाल सेना, जो मृत्यु के पाश से बँधी हुई थी, अपार हर्ष से भर गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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