श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 22-23h
 
 
श्लोक  3.23.22-23h 
 
 
यन्निमित्तं तु रामस्य लक्ष्मणस्य विपर्यय:॥ २२॥
सकामा भगिनीमेऽस्तु पीत्वा तु रुधिरं तयो:।
 
 
अनुवाद
 
  राम और लक्ष्मण के मन में जिस कारण से क्रूरतापूर्ण विचार उत्पन्न हुए हैं, वह मेरी बहन शूर्पणखा उनके खून को पीकर अपने मनोरथ को पूरा कर ले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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