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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना
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श्लोक 2
श्लोक
3.23.2
निपेतुस्तुरगास्तस्य रथयुक्ता महाजवा:।
समे पुष्पचिते देशे राजमार्गे यदृच्छया॥ २॥
अनुवाद
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खर के रथ में जुते हुए वेगशाली घोड़े समतल जगह पर बिछे हुए फूलों पर चलते-चलते अचानक से गिर पड़े।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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