श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  3.23.19-20 
 
 
महोत्पातानिमान् सर्वानुत्थितान् घोरदर्शनान्॥ १९॥
न चिन्तयाम्यहं वीर्याद् बलवान् दुर्बलानिव।
तारा अपि शरैस्तीक्ष्णै: पातयेयं नभस्तलात्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं इन सभी भयावह और भयानक दिखने वाले उत्पातों की परवाह नहीं करता, जैसे कोई शक्तिशाली योद्धा कमज़ोर शत्रु की परवाह नहीं करता। मैं अपने तीखे बाणों से आकाश में स्थित तारों को भी गिरा सकता हूँ।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.