श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.23.13 
 
 
उत्पेतुश्च विना रात्रिं तारा: खद्योतसप्रभा:।
संलीनमीनविहगा नलिन्य: शुष्कपङ्कजा:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  रात्रि के बिना ही आकाश में तारे जुगनुओं की तरह चमकने लगे। तालाबों से मछलियां और जलपक्षी गायब हो गए। कमल के फूल भी सूख गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.