वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना
»
श्लोक 11-12
श्लोक
3.23.11-12
कबन्ध: परिघाभासो दृश्यते भास्करान्तिके॥ ११॥
जग्राह सूर्यं स्वर्भानुरपर्वणि महाग्रह:।
प्रवाति मारुत: शीघ्रं निष्प्रभोऽभूद् दिवाकर:॥ १२॥
अनुवाद
play_arrowpause
सूर्य के निकट सिर कटे धड़ के समान आकार का कबन्ध दिखाई देने लगा। महान् ग्रह राहु अमावस्या को बिना देखे ही सूर्य को ग्रसने लगा। हवा तेज गति से चलने लगी और सूर्यदेव की चमक फीकी पड़ गई।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.