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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 23: भयंकर उत्पातों को देखकर भी खर का उनकी परवा नहीं करना तथा राक्षस सेना का श्रीराम के आश्रम के समीप पहुँचना
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श्लोक 10-11h
श्लोक
3.23.10-11h
कङ्कगोमायुगृध्राश्च चुक्रुशुर्भयशंसिन:।
नित्याशिवकरा युद्धे शिवा घोरनिदर्शना:॥ १०॥
नेदुर्बलस्याभिमुखं ज्वालोद्गारिभिराननै:।
अनुवाद
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कङ्क (सफेद चील), गीदड़ और गीध जैसे पशु जो भय का संकेत देते हैं, वे खर की सेना के सामने चीत्कार करने लगे। युद्ध में हमेशा अमंगल का संकेत देने वाले और भय दिखाने वाले गीदड़ खर की सेना के सामने आकर आग उगलने वाले मुँह से भयानक शब्द करने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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