श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान  »  श्लोक 8-9
 
 
श्लोक  3.22.8-9 
 
 
चतुर्दश सहस्राणि मम चित्तानुवर्तिनाम्।
रक्षसां भीमवेगानां समरेष्वनिवर्तिनाम्॥ ८॥
नीलजीमूतवर्णानां लोकहिंसाविहारिणाम्।
सर्वोद्योगमुदीर्णानां रक्षसां सौम्य कारय॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  सौम्य! मेरे मन के अनुकूल चलने वाले, युद्ध के मैदान से पीछे हटने के विचार से रहित, अत्यंत वेगशाली, घनघोर मेघ के समान काले रंग वाले, मनुष्यों की हिंसा में ही खेलकूद करने वाले तथा युद्ध में प्रसन्नतापूर्वक आगे बढ़ने वाले चौदह हज़ार राक्षसों को युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार कर दो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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