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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान
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श्लोक 6
श्लोक
3.22.6
सम्प्रहृष्टा वच: श्रुत्वा खरस्य वदनाच्च्युतम्।
प्रशशंस पुनर्मौर्ख्याद् भ्रातरं रक्षसां वरम्॥ ६॥
अनुवाद
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शूर्पणखा खर के मुख से निकले शब्दों को सुनकर बहुत खुश हुई। उसने अपनी मूर्खता के कारण राक्षसों के सर्वश्रेष्ठ भाई खर की फिर से खूब प्रशंसा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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