श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.22.4 
 
 
बाष्प: संधार्यतामेष सम्भ्रमश्च विमुच्यताम्।
अहं रामं सह भ्रात्रा नयामि यमसादनम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  "तुम्हारे आंसू रुक जाएं और यह घबराहट दूर हो जाए। मैं अपने भाई सहित राम को अभी यमलोक पहुँचाता हूँ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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