तब खर का क्रोध बढ़ गया था। उसकी आवाज़ भी कठोर हो गई थी। वह दुश्मन को मारने के लिए बेताब होकर यमराज की तरह भयानक लग रहा था। जैसे ओलों की वर्षा करने वाला बादल जोर से गरजता है, उसी तरह शक्तिशाली खर ने जोर से दहाड़ते हुए एक बार फिर सारथि को रथ चलाने के लिए उकसाया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे द्वाविंश: सर्ग: ॥ २ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें बाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ २॥