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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान
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श्लोक 23
श्लोक
3.22.23
संचोदितो रथ: शीघ्रं खरस्य रिपुघातिन:।
शब्देनापूरयामास दिश: सप्रदिशस्तथा॥ २३॥
अनुवाद
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उसके हाँकने पर शत्रुओं का नाश करने वाले खर का रथ शीघ्र ही अपने दौड़ने के शब्द से सम्पूर्ण दिशाओं और उपदिशाओं को गूँजाने लगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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