श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.22.17 
 
 
ततस्तद् राक्षसं सैन्यं घोरचर्मायुधध्वजम्।
निर्जगाम जनस्थानान्महानादं महाजवम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् राक्षसों की विशाल सेना, जो भयावह ढालों, हथियारों और ध्वजाओं से सुसज्जित थी, युद्ध नाद करते हुए तीव्र गति से जन स्थान से बाहर निकल गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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