श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.22.16 
 
 
खरस्तु तन्महत्सैन्यं रथचर्मायुधध्वजम्।
निर्यातेत्यब्रवीत् प्रेक्ष्य दूषण: सर्वराक्षसान्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  खर और दूषण ने उस विशाल सेना को देखा, जिसमें रथ, ढाल, अस्त्र-शस्त्र और ध्वज से सम्पन्न राक्षस थे। उन्होंने सभी राक्षसों से कहा, "आगे बढ़ो, निकल जाओ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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