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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान
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श्लोक 11
श्लोक
3.22.11
अग्रे निर्यातुमिच्छामि पौलस्त्यानां महात्मनाम्।
वधार्थं दुर्विनीतस्य रामस्य रणकोविद॥ ११॥
अनुवाद
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‘रणकुशल वीर! मैं महान राक्षस पुलस्त्यवंशियों के आगे-आगे जाकर इस दुर्विनीत राम का वध करना चाहता हूँ’।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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