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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 22: चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ खर-दूषण का जनस्थान से पञ्चवटी की ओर प्रस्थान
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श्लोक 10
श्लोक
3.22.10
उपस्थापय मे क्षिप्रं रथं सौम्य धनूंषि च।
शरांश्च चित्रान् खड्गांश्च शक्तीश्च विविधा: शिता:॥ १०॥
अनुवाद
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हे सौम्य सेनापते! तुम शीघ्र ही मेरा रथ यहाँ लाओ। उस पर बहुत सारे धनुष, बाण, विविध प्रकार के खड्ग और नाना प्रकार की तीखी शक्तियाँ भी रख दो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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