श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.21.7 
 
 
अस्मीदानीमहं प्राप्ता हतश्रवणनासिका।
शोणितौघपरिक्लिन्ना त्वया च परिसान्त्विता॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  भैया, मैं फिर से तुम्हारे पास क्यों आई हूँ, यह बताती हूँ, सुनो- मेरे नाक-कान काट दिए गए और मैं खून से लथपथ हो गई थी। उस अवस्था में जब मैं पहली बार आई थी, तब तुमने मुझे बहुत सांत्वना दी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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