अस्मीदानीमहं प्राप्ता हतश्रवणनासिका।
शोणितौघपरिक्लिन्ना त्वया च परिसान्त्विता॥ ७॥
अनुवाद
भैया, मैं फिर से तुम्हारे पास क्यों आई हूँ, यह बताती हूँ, सुनो- मेरे नाक-कान काट दिए गए और मैं खून से लथपथ हो गई थी। उस अवस्था में जब मैं पहली बार आई थी, तब तुमने मुझे बहुत सांत्वना दी थी।