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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना
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श्लोक 6
श्लोक
3.21.6
इत्येवमुक्ता दुर्धर्षा खरेण परिसान्त्विता।
विमृज्य नयने सास्रे खरं भ्रातरमब्रवीत्॥ ६॥
अनुवाद
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खर के इस प्रकार सान्त्वना देने पर उस दुर्धर्षराक्षसी ने अपने नयनों से आँसू पोंछकर भाई खर से कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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