श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 20-21h
 
 
श्लोक  3.21.20-21h 
 
 
रामतेजोऽभिभूतो हि त्वं क्षिप्रं विनशिष्यसि।
स हि तेज:समायुक्तो रामो दशरथात्मज:॥ २०॥
भ्राता चास्य महावीर्यो येन चास्मि विरूपिता।
 
 
अनुवाद
 
  तुम राम की तेजस्विता से पराजित होकर शीघ्र ही नष्ट हो जाओगे; क्योंकि दशरथ के पुत्र राम बड़े तेजस्वी हैं। उनके भाई लक्ष्मण भी बहुत पराक्रमी हैं, जिसने मेरी नाक और कान काटकर मुझे अत्यंत कुरूप बना दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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