श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.21.19 
 
 
मानुषौ तौ न शक्नोषि हन्तुं वै रामलक्ष्मणौ।
नि:सत्त्वस्याल्पवीर्यस्य वासस्ते कीदृशस्त्विह॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  राम और लक्ष्मण मनुष्य हैं और उन्हें मारने की शक्ति तुममें नहीं है, तो तुम जैसे कमजोर और शक्तिहीन राक्षस के लिए यहां रहना कैसे संभव है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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