श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 15-16h
 
 
श्लोक  3.21.15-16h 
 
 
यदि रामममित्रघ्नं न त्वमद्य वधिष्यसि॥ १५॥
तव चैवाग्रत: प्राणांस्त्यक्ष्यामि निरपत्रपा।
 
 
अनुवाद
 
  यदि तुम अभी आज ही राम के मित्रों का संहार करने वाले रावण का वध नहीं करोगे तो मैं तुम्हारे सामने ही बिना किसी संकोच के अपने प्राण त्याग दूंगी। क्योंकि मेरी लाज लुट चुकी है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.