श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.21.14-15h 
 
 
मयि ते यद्यनुक्रोशो यदि रक्ष:सु तेषु च।
रामेण यदि शक्तिस्ते तेजो वास्ति निशाचर॥ १४॥
दण्डकारण्यनिलयं जहि राक्षसकण्टकम्।
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसराज रावण! यदि तुम्हें मुझपर और उन मरे हुए राक्षसों पर दया आती हो और यदि तुममें राम से युद्ध करने की शक्ति और साहस है, तो उन्हें मार डालो; क्योंकि दण्डकारण्य में रहने वाले राम राक्षसों के लिए एक बड़ा खतरा हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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