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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना
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श्लोक 12
श्लोक
3.21.12
विषादनक्राध्युषिते परित्रासोर्मिमालिनि।
किं मां न त्रायसे मग्नां विपुले शोकसागरे॥ १२॥
अनुवाद
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विषाद रूपी मगरमच्छों से भरे हुए और त्रास की लहरों से अशांत उस विशाल शोक सागर में मैं डूब गई हूँ। तुम उस शोक सागर से मेरा उद्धार क्यों नहीं करते?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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