श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.21.11 
 
 
सास्मि भीता समुद्विग्ना विषण्णा च निशाचर।
शरणं त्वां पुन: प्राप्ता सर्वतो भयदर्शिनी॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  निशाचरराज! मैं डरी हुई, व्याकुल और शोक से भरी हुई हूँ। मुझे हर जगह केवल भय ही दिखाई देता है, इसलिए मैं फिर से तुम्हारी शरण में आई हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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