वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 21: शूर्पणखा का खर के पास आकर उन राक्षसों के वध का समाचार बताना और राम का भय दिखाकर उसे युद्ध के लिये उत्तेजित करना
»
श्लोक 11
श्लोक
3.21.11
सास्मि भीता समुद्विग्ना विषण्णा च निशाचर।
शरणं त्वां पुन: प्राप्ता सर्वतो भयदर्शिनी॥ ११॥
अनुवाद
play_arrowpause
निशाचरराज! मैं डरी हुई, व्याकुल और शोक से भरी हुई हूँ। मुझे हर जगह केवल भय ही दिखाई देता है, इसलिए मैं फिर से तुम्हारी शरण में आई हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.