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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध
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श्लोक 9
श्लोक
3.20.9
युष्मान् पापात्मकान् हन्तुं विप्रकारान् महाहवे।
ऋषीणां तु नियोगेन सम्प्राप्त: सशरासन:॥ ९॥
अनुवाद
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‘देखो, तुम सब-के-सब पापात्मा तथा ऋषियोंका अपराध करनेवाले हो। उन ऋषि-मुनियोंकी आज्ञासे ही मैं धनुष-बाण लेकर महासमरमें तुम्हारा वध करनेके लिये यहाँ आया हूँ॥ ९॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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