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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध
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श्लोक 6
श्लोक
3.20.6
राघवोऽपि महच्चापं चामीकरविभूषितम्।
चकार सज्यं धर्मात्मा तानि रक्षांसि चाब्रवीत्॥ ६॥
अनुवाद
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तब धर्मात्मा रघुनाथजी ने अपना वह महान धनुष जिसमें स्वर्ण की चमक है, उस पर प्रत्यंचा चढ़ाया और उन राक्षसों से बोले।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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