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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 5
श्लोक
3.20.5
वाक्यमेतत् तत: श्रुत्वा रामस्य विदितात्मन:।
तथेति लक्ष्मणो वाक्यं राघवस्य प्रपूजयन्॥ ५॥
अनुवाद
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लक्ष्मण जी ने अपने भाई श्रीराम की बात को अच्छी तरह से समझा और उसके बाद इसे स्वीकार भी किया। उन्होंने कहा, "तथास्तु" और उनके निर्देशों का पालन करने का वादा किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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