श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.20.4 
 
 
मुहूर्तं भव सौमित्रे सीताया: प्रत्यनन्तर:।
इमानस्या वधिष्यामि पदवीमागतानिह॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  सुमित्रा के पुत्र! तुम कुछ देर के लिए सीता के पास खड़े हो जाओ। मैं इस राक्षसी की सहायक बनकर साथ-साथ आए हुए इन राक्षसों का यहीं पर वध कर दूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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