श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.20.24 
 
 
भ्रातु: समीपे शोकार्ता ससर्ज निनदं महत् ।
सस्वरं मुमुचे बाष्पं विवर्णवदना तदा॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  भाई के पास पहुँचकर शोक से पीड़ित शूर्पणखा जोर-जोर से विलाप करने लगी और फूट-फूट कर रोने लगी। उस समय उसके चेहरे की कांति फीकी पड़ गयी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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