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श्लोक 24
श्लोक
3.20.24
भ्रातु: समीपे शोकार्ता ससर्ज निनदं महत् ।
सस्वरं मुमुचे बाष्पं विवर्णवदना तदा॥ २४॥
अनुवाद
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भाई के पास पहुँचकर शोक से पीड़ित शूर्पणखा जोर-जोर से विलाप करने लगी और फूट-फूट कर रोने लगी। उस समय उसके चेहरे की कांति फीकी पड़ गयी थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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