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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध
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श्लोक 22-23
श्लोक
3.20.22-23
तान् भूमौ पतितान् दृष्ट्वा राक्षसी क्रोधमूर्छिता॥ २२॥
उपगम्य खरं सा तु किंचित्संशुष्कशोणिता।
पपात पुनरेवार्ता सनिर्यासेव वल्लरी॥ २३॥
अनुवाद
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उसने उन सभी को पृथ्वी पर पड़ा हुआ देखा और क्रोध में बेसुध होकर खर के पास जा गिरी। उसके कटे हुए कानों और नाक से खून बहना बंद हो गया था और वह गोंद से लिपटी हुई लता की तरह दिख रही थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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