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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 21-22h
श्लोक
3.20.21-22h
तैर्भग्नहृदया भूमौ छिन्नमूला इव द्रुमा:॥ २१॥
निपेतु: शोणितस्नाता विकृता विगतासव:।
अनुवाद
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उन नाराचों से हृदय विदीर्ण हो जाने के कारण वे राक्षस जड़ से कटे हुए वृक्षों की भाँति धराशायी हो गये। उनके शरीर से खून बह रहा था और उनके शरीर विकृत हो गये थे। उस अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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